संसार में वो सबसे ज्यादा धनवान है जो अपने पास जीवनपयोगी सामग्री कम से कम होने पर भी संतुष्ट है, क्योंकि संतुष्टि ही प्रकृति की सबसे बड़ी दौलत है। - दार्शनिक संत सुकरात